Happy Achievement By WordPress
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Happy 1 Year Anniversary Achievement.
By WordPress To artpens
© gayshir 2019
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Happy 1 Year Anniversary Achievement.
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Congratulation By WordPress On 16/12/2018
Thanks
By
/
Hare Krishna ‘Gayshir’
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Happy Independence Day…
By
Hare Krishna ‘Gayshir’
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गुरू पूर्णिमा की शुभकामनाएं
/
Happy Guru Poornima
© gayshir 2018
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To my WordPress website artpens
On 04/06/2018
छवि: वर्डप्रेस द्वारा
मेरे वर्डप्रेस वेबसाइट आर्टपेन्स (कलाकृृृृतियाँ) के लिए
04/06/2018 को
Thanks to all my Fans, Followers, Readers and Viewers.
मेरे सभी प्रशंसकों, अनुयायियों, पाठकों और दर्शकों के लिए धन्यवाद।
By,
Hare Krishna ‘Gayshir’
© gayshir 2018
क्या बताउँ उस दिन?
क्या हो गया साथ?
याद नहीं कुछ देर की,
शेष सभी स्मरण साथ –
दुपहिया वाहन और चौड़ी सड़क –
जैसे नया काला कपड़ा कड़क,
लेकिन थी विभाजक/डिवाइडर बिन ।
एक तरफ़ एक दुकान –
दुसरी ओर बियाबान ।
आगे-पीछे कोई नहीं ,
सामने साफ़-सुथरा ।
तीव्र और उचित गति ,
निर्विकार शुद्ध मति ,
कोई नहीं देख पाया !
तेज दौड़ता काला कुत्ता,
रास्ते को बेझिझक काटा।
निश्चिंत चलता वाहन टकराया ,
चालक का पैर फंसा ,
दुपहिया के नीचे ,
साथी वाहन के पीछे ,
सम्भल कर खड़ा होते हुए।
सहायता को लोग आए,
मनुष्य मनुज के काम आए।
गाड़ी छतिग्रस्त हुई,
दोनों सवारी चोट खाई,
बड़े संयोग की बात !
बहुत होके कम हुआ ,
जीवन को सुरक्षित पाया ।
सरकारें सड़कें बनवातीं हैं,
वचन निभातीं हैं,
रह जाती हैं बड़ी-बड़ी चूकें-
विभाजक बिन राष्ट्रीय राजमार्ग-
आमन्त्रण देती घटनाओं को,
रूप देती दुर्घटनाओं को,
ठगे जाते हैं लोग-
होते हैं घायल व अपंग,
बड़ा ही दुखद कुछ –
अन्त को पाते हैं।
:- गयशिर
दो दिन पहले कोहरा था,
जाड़े का असर गहरा था,
सुबह धुन्धली, दोपहर बाद साफ़-
गर्मी पढ़ रहा ककहरा था ।
रास्तों पे उड़ रहे धूल-
सूखने लगे हैं कोमल फूल,
कांटे होने लगे हैं कठोर,
ढका रहता, प्रायः चेहरा था ।
मौसम में बदलाव शुरू हुआ,
सिकुड़न में खिचाव आने लगा,
भारी पोशाक रखी जायेगी अब-
चल पड़ेगा जो ठहरा था।
:- गयशिर
आशा कभी नहीं मरती,
भाषा बदलती है परिधान ।
कथा करबट लेती है –
वही धरती वही आकाश ।
(Hope never dies,
Language changes garment.
The story takes place –
The same earth is the same sky.)
:- गयशिर (Gayshir)
सीमित परन्तु दुनियाँ दिखती है,
राह चलता इनसान दिखता है।
बेचने ख़रीदने वालों के भाव-
बिका हुआ सामान दिखता है।
हवा नहीं, आती है दवा भी-
कुम्हलाहट से उबरने की।
अवसर मिलती है ताज़गी को,
होकर दिल से गुज़रने की।
आने वाले मौसम का अनुमान,
जो बीत चुका उसका परिणाम।
दिखता है आवाज़ का चेहरा,
मिलता है शरीर को आराम।
:- गयशिर
चाँद पूर्णिमा में पूरा,
अन्य दिन आधा-अधूरा।
कभी कुछ नहीं,
अन्धेरा हर कहीं।
परन्तु अचरज!
जाड़े में सूरज-
दाग़-धब्बा रहित,
शीतल प्रकाश सहित,
गर्मी से अनजान बन जाते हैं-
पूरा चाँद बन जाते हैं।
दो दिन बाद दोपहर के,
कुछ देर को धूप निकली,
राहत मिली देख के,
धुंधलके की ज़िद्द छूटी.
Creation is essential for the world and expansion of soul pleasure.
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