मानव धर्म से बड़ा, न धर्म कोई दूजा।
मानवों की सेवा मानव की है, सबसे बड़ी पूजा।
पुरस्कृत करती सभी को, दण्डित भी करती है प्रकृति,
दण्ड भुगतना पड़ता है, राजा हो या हो प्रजा।
—गयशिर—
*Love, Nature & Life*
मानव धर्म से बड़ा, न धर्म कोई दूजा।
मानवों की सेवा मानव की है, सबसे बड़ी पूजा।
पुरस्कृत करती सभी को, दण्डित भी करती है प्रकृति,
दण्ड भुगतना पड़ता है, राजा हो या हो प्रजा।
—गयशिर—
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