दया का पात्र, कोई भी हो सकता है।
अंधेरा के कारण ही, उजाला दिखता है।
पूरा कोई अधुरा, कोई दोनों से भी कम,
सामर्थ्यवान किसी का भी, सहायक बन सकता है।
“””गयशिर”””
*Love, Nature & Life*
दया का पात्र, कोई भी हो सकता है।
अंधेरा के कारण ही, उजाला दिखता है।
पूरा कोई अधुरा, कोई दोनों से भी कम,
सामर्थ्यवान किसी का भी, सहायक बन सकता है।
“””गयशिर”””
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सामर्थ्यवान किसी का भी, सहायक बन सकता है।…bahut khub kaha.